देश में लोकसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है. 19 अप्रैल को कई राज्यों में पहले चरण की वोटिंग होनी है. पहले चरण में जिन राज्यों में वोटिंग होनी है, उनमें एक राज्य महाराष्ट्र भी है, जहां पांच लोकसभा सीटों रामटेक, नागपुर, भंडारा-गोंदिया, गडचिरौली-चिमूर और चंद्रपुर में वोट डाले जाने हैं. इन पांच सीटों में सबसे वीआईपी लोकसभा सीट नागपुर की है. ऐसा इसलिए क्योंकि संतरों की यह नगरी महाराष्ट्र का न सिर्फ तीसरा सबसे बड़ा शहर है, बल्कि राजनीतिक नजरिये से भी इसकी बड़ी अहमियत है.
2024 में नागपुर लोकसभा सीट से वैसे तो कुल 26 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, लेकिन असली व सीधी लड़ाई केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ बीजेपी नेता नितिन गडकरी और कांग्रेस के उम्मीदवार विकास ठाकरे के बीच है. नितिन गडकरी इस सीट से दो बार (2014 और 2019) सांसद रह चुके हैं और बीजेपी ने उन्हें तीसरी बार यहां से टिकट दिया है, जबकि विकास ठाकरे को पहली बार कांग्रेस ने टिकट दिया है. विकास ठाकरे नागपुर पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक हैं, लेकिन इस बार नाना पटोले की जगह कांग्रेस ने गडकरी के सामने उन्हें उतारा है.
जातिगत समीकरण में फिट नहीं गडकरी
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो इस हाई प्रोफाइल नागपुर संसदीय सीट से महायुति के उम्मीदवार नितिन गडकरी के हैट्रिक लगाने के पूरे आसार हैं. इसकी मुख्य वजह केंद्रीय मंत्री रहते हुए सड़क परिवहन के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्य हैं. उनके इन कार्यों की तारीफ खुद उनके विरोधी भी समय-समय पर करते रहे हैं. गडकरी ब्राह्मण हैं. जातिगत समीकरण में फिट नहीं होने के बाद भी कांग्रेस में आपसी मतभेद और अपनी विकास की छवि के कारण गडकरी विदर्भ क्षेत्र की इस सबसे महत्वपूर्ण सीट से दो बार जीत हासिल कर चुके हैं.
हालांकि, इस बार उनके लिए थोड़ी चुनौती भी हो सकती है, क्योंकि वंचित बहुजन अघाडी के अध्यक्ष प्रकाश अम्बेडकर ने कांग्रेस उम्मीदवार विकास ठाकरे को अपना समर्थन दिया है. नागपुर में वंचित अघाड़ी के वोटर काफी संख्या में हैं. इसलिए यहां अच्छा मुकाबला देखने को मिल सकता है. बीजेपी को भरोसा है कि तीसरी बार भी नितिन गडकरी 2-3 लाख मतों से नागपुर सीट पर जीत हासिल करेंगे.
कठिन जिम्मेदारी
कभी कांग्रेस की परंपरागत लोकसभा सीट रही नागपुर को बीजेपी ने 2014 में उससे छीन लिया था. कांग्रेस के इस गढ़ को जीतने की कठिन जिम्मेदारी नितिन गडकरी को सौंपी थी. 2014 के चुनाव में नितिन गडकरी ने उस जिम्मेदारी पर खरा उतरते हुए कांग्रेस के विलास मुत्तेमवार को तीन लाख वोटों से हराया था. 2014 में गडकरी को 5,87,766 वोट मिले थे, जबकि विलास मोत्तेमवार को 3,02,939 वोट मिले थे. 2019 में भी इस सीट पर कांग्रेस को फिर निराशा हाथ लगी. 2019 में नितिन गडकरी ने कांग्रेस के नाना पटोले को 2.16 लाख वोटों से हराया था. 2019 में कुल 11,87,215 वोट पड़े थे, जिसमें से नितिन गडकरी को 6,60,221 वोट मिले, जबकि नाना पटोले को 4,44,212 वोट मिले थे.
6 लाख एससी-एसटी वोटर्स
नागपुर की संसदीय सीट की बात करें तो इसके अंर्तगत कुल छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें से दो पर कांग्रेस और चार पर बीजेपी का कब्जा है. नागपुर लोकसभा क्षेत्र की आबादी करीब 40 लाख है, जिसमें युवा मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है. इस सीट पर ओबीसी, एससी और एसटी मतदाता हमेशा निर्णायक होते हैं. नागपुर लोकसभा सीट पर करीब साढ़े चार लाख एससी वोटर हैं तो वहीं एसटी वोटर दो लाख के करीब हैं. यहां पर मुस्लिम वोटरों की संख्या भी दो लाख के आसपास है.
इसके अलावा इस सीट पर तीन लाख से ज्यादा मराठी वोटर, जबकि एक लाख से ज्यादा ब्राह्मण वोटर हैं. नागपुर की लोकसभा सीट पर 1952 से 2019 के बीच 12 बार कांग्रेस के सांसद रहे हैं, लेकिन 2014 के बाद से कांग्रेस को लगातार यहां हार का मुंह देखना पड़ा है. ऐसे में कांग्रेस ने इस बार एक विधायक को टिकट देने का बड़ा खेल खेला है.
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FIRST PUBLISHED : April 2, 2024, 16:42 IST