कहां हैं वो जज, जिन्होंने मुख्तार अंसारी को पहली बार सुनाई थी सजा, फिर जेल से कभी नहीं आ पाया बाहर

हमीरपुर. माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उससे जुड़े किस्सों और मामलों की प्रतिदिन चर्चा हो रही है. ऐसा ही एक किस्सा हमीरपुर का है, जब मुख्तार अंसारी के खौफ से हर कोई कांपता था. इस बीच हमीरपुर जनपद के रहने वाले जज ने मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई थी. इसके बाद लगातर कई मामलों में मुख्तार को सजा होती गई और वह जेल से कभी बाहर नहीं आ पाया. इस किस्से से जुड़ी कहानी आपको बताते हैं.

कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की हाल ही में हृदय गति रुक जाने से मौत हुई है. मुख्तार के ऊपर कहने को तो कई अपराधिक मामले दर्ज थे लेकिन उसको किसी भी मामले में सजा जब नहीं हुई थी. उसका खौफ आम जनता के साथ जजो में भी था, जिसके कारण कोई भी जज मुख्तार को सजा सुनाने से डरता था. जब मुख्तार का केस हमीरपुर के मौदहा कोतवाली क्षेत्र के टिकरी गांव के रहने वाले और तत्कालीन समय में लखनऊ उच्च न्यायालय के जज दिनेश सिंह की बेंच में पहुंचा, तो उसने जस्टिस दिनेश सिंह को भी खौफ दिखाने की कोशिश की. मुख्तार अंसारी ने सोचा कि जिस तरह जनता में उसका खौफ है, उसी तरह जज दिनेश सिंह भी उसका खौफ मानेगें, लेकिन जस्टिस दिनेश सिंह ने निडरता के साथ अपने कर्तव्य का पालन किया और 22 सितंबर 2022 को 32 वर्ष के अपराधिक इतिहास के बाद 2003 में लखनऊ जिला जेल के जेलर को धमकाने के मामले में मुख्तार अंसारी को सात वर्ष की सजा सुनाई थी.

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जज दिनेश सिंह ने मुख्तार अंसारी की अर्जी की थी खारिज
कुछ समय बाद मुख्तार ने जेल में विशेष सुविधा के लिए जस्टिस दिनेश सिंह की बेंच में अर्जी डाली थी लेकिन उन्होंने यह कहकर अर्जी को खारिज कर दिया कि मुख्तार अंसारी एक कुख्यात अपराधी है और उसको जेल में विशेष सुविधा का कोई अधिकार नहीं. रामू मल्लाह जो कि मुख्तार अंसारी का नजदीकी माना जाता था, उसकी जमानत भी यह कहकर खारिज कर दी थी कि रामू के जेल के बाहर रहने की वजह से गवाहों और अन्य लोगों की जान को खतरा है.

कौन है जस्टिस दिनेश सिंह
जस्टिस दिनेश सिंह मूल रूप से हमीरपुर जिले के मौदहा क्षेत्र के टिकरी गांव के निवासी हैं. वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में न्यायाधीश रहे हैं. वर्तमान समय में केरल राज्य के उच्च न्यायालय में जज हैं. निडर और निष्पक्ष होकर वह अपने न्यायिक फैसले सुना रहे हैं. अब मुख्तार अंसारी के मौत के बाद जज के आदेश की चर्चा जोरों पर है.

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