NGDRS : रजिस्ट्री के नए सिस्टम में बाधा बन रही भाषा, नामांतरण के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं लोग…

रायपुर: एनजीडीआरएस प्रणाली लागू होने से इस नए सिस्टम की कई कमियां सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि रजिस्ट्री कराने के बाद अपनी जमीन के नामांतरण कराने के लिए अब लगातार लोगों को भटकना पड़ रहा है।

छत्तीसगढ़ में रजिस्ट्री को पारदर्शी बनाने के लिए एनजीडीआरएस प्रणाली लागू की गई है। परिणाम यह है कि यही प्रणाली लोगों के लिए मुसीबत बन गई है। कई लोगों का कहना है कि उन्हें नामांतरण करने में काफी दिक्कत हो रही है। वे पटवारी से लेकर तहसील दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, नए सिस्टम में 500 से ज्यादा रजिस्ट्रियों के नामांतरण अटके हुई हैं। एनजीडीआरएस प्रणाली लागू होने के बाद से जिला प्रशासन का ये दावा है कि जमीन की रजिस्ट्री का कार्य आसान हो गया है। अब जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए इंतेजार नहीं करना पड़ता है, लेकिन इसी प्रणाली के बाद नामांतरण का काम में काफी इंतजार करना पड़ रहा है।

बताया जा रहा है कि जब रजिस्ट्रीधारक पटवारी दफ्तर पहुंच रहे हैं तो उन्हें ये बताया जाता है कि उनका नाम अभी सॉफ्टवेयर में नहीं दिखा रहा है, इसके लिए उन्हें थोड़ा इंतेजार करना पड़ेगा, लेकिन पटवारी कार्यालय के कई बार जाने के बाद भी उनकी समस्या कम नहीं हो रही है।

रजिस्ट्री ऑफिस से दस्तावेज पूरी तरह अपलोड नहीं किया जा रहा है. जिसके चलते आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है। इसके अलावा इस सॉफ्टवेयर से जो परेशानी आ रही है वो ये है कि रजिस्ट्रीधारक का नाम अंग्रेजी में आ रहा है, जबकि रजिस्ट्री में नाम हिंदी में दर्ज होता है। इसी कारण स्पेलिंग मिस्टेक होने के बाद उसे सुधारने का पॉवर एसडीएम के पास है और इसी के लिए लोग अपनी रजिस्ट्री में नाम सुधारने के लिए भी दर-दर भटक रहे हैं।

इस परेशानी से गुजर रहे लोगों के ने बताया कि जिस क्रम से रजिस्ट्री हो रही है उसी क्रम से दस्तावेज अपलोड नहीं हो रहे है। एक पटवारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सॉफ्टवेयर में जाती के संबंध में भी जानकारी मांगी जा रही है, जो रजिस्ट्री में नहीं होती है। ऐसे में यदि किसी की आरक्षित वर्ग की जाति सामान्य हो जाती है तो वे पटवारियों पर पूरा दोष डाल रहे हैं।

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