Holika Dahan 2025 : होलिका दहन के दिन भद्रा का साया ,रात्रि 11:49 के बाद 13 मार्च गुरुवार को होगा होलिका दहन

शास्त्र सम्म्त ढंग से होलिका दहन करने से समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है इसलिए मुहूर्त का विशेष ध्यान रखकर होलिका दहन करना चाहिए। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से होलिका दहन भद्रा रहित मुहूर्त में करने का विधान है। काशी के प्रसिद्ध गणेश आपा पंचांग के अनुसार 13 मार्च 2025 को फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि, दिन में 11 बजकर 07 मिनट तक है, उसके बाद पूर्णिमा तिथि का प्रवेश होगा जो कि अगले दिन शुक्रवार को दोपहर 12:30 तक ही है।

तारीख 13 मार्च को सूर्योदय के समय चतुर्दशी तिथि है एवं दिन में 11:07 पर पूर्णिमा लग रही है, परन्तु दिन में 11:07 से रात्रि 11:49 तक भद्रा है, अतः होलिका दहन तारीख 13, गुरुवार को भद्रा समाप्ति के बाद रात 11:49 पर होगा। 13 तारीख गुरुवार को होलिका दहन के पश्चात शुक्रवार 14 तारीख को रंगों से होली खेली जाएगी।

वृश्चिक लग्न में होगा होलिका दहन –

13 मार्च 2025, गुरुवार की रात्रि, होलिका दहन के समय 11 बजकर 49 मिनट की ग्रह स्थिति इस प्रकार है। होलिका दहन के समय लग्न से चतुर्थ भाव में स्वराशि का शनि पंचमहापुरुष नामक विशेष राजयोग बना रहा है, शनि के द्वारा शशक नाम के राजयोग का सृजन हो रहा है। चन्द्रमा का संचरण सिंह राशि में तथा कुम्भ राशि में सूर्य, शनि की युति, मीन राशि में राहु, बुध, शुक्र की युति जिसमें शुक्र अपनी उच्चतम अवस्था में विद्यमान है, वृष राशि का गुरु, मिथुन राशि का मंगल और कन्या राशि का केतु एवं अन्य तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के संकेत होली पर्व पर स्त्रियों के प्रति हिंसा में कमी आने के संकेत दे रहे हैं। ग्रह स्थिति के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र के प्राचीन ग्रंथो में होलिका दहन के समय हवा की दिशा जिसमें होलिका दहन का धुंआ जाता हुआ दिखाई दे, उस दिशा के अनुसार भी होली शुभ है या अशुभ, देश, समाज आदि के लिए विचार किया जाता है। शकुन शास्त्र के अन्तर्गत होली पर शुभाशुभ शकुन विचारने का उल्लेख आता है। होलिका जलने के मुहूर्त से लेकर होलिका दहन के समय, होली की अग्नि से उत्पन्न होने वाले धुएं से विचार करने की प्राचीन परम्परा है।

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