पाली लोकसभा सीट का रण, यहां पीने का पानी भी ट्रेन से आता है, बरसों से जिंदा है यह मुद्दा, जानें समीकरण

पाली. पालीवाल ब्राह्मणों के नाम पर बसा पाली शहर राजस्थान की औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाता है. पाली शहर में रंगाई, छपाई और सूती वस्त्रों के उद्योग प्रमुख है. ये यहां के लोगों के रोजगार के मुख्य केन्द्र हैं. कपड़ा व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध पाली से तैयार कपड़ा पूरे देश में जाता है. राजस्थान के मारवाड़ इलाके की पाली लोकसभा सीट पर इस बार लोकसभा चुनाव में जोरदार टक्कर होने के आसार हैं. यहां बीजेपी ने पीपी चौधरी को तीसरी बार लगातार अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को चुनाव मैदान में उतारा है.

दिल्ली से पाली की दूरी 568 किलोमीटर है. पाली लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं. पाली लोकसभा क्षेत्र का पहला चुनाव 1952 में हुआ था. निर्दलीय पार्टी के जनरल अजीत सिंह पाली के पहले सांसद थे. आठ विधानसभाओं वाली पाली लोकसभा सीट इस वक्त चर्चा के केंद्र में है. पाली लोकसभा क्षेत्र में बिलाड़ा, भोपालगढ़, ओसियां, पाली, बाली, सुमेरपुर, सोजत और मारवाड़ जंक्शन विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.

वर्तमान में यह है राजनीतिक परिदृश्य
अभी यहां छह सीटों पर बीजेपी काबिज है. इनमें बिलाड़ा से अर्जुन गर्ग, ओसियां से भैराराम सियोल, बाली से पुष्पेंद्र सिंह राणावत, सुमेरपुर से जोराराम कुमावत, सोजत से शोभा चौहान और मारवाड़ जंक्शन से केशाराम चौधरी शामिल है. जबकि दो सीटों पर यहां कांग्रेस काबिज है. इनमें भोपालगढ़ से गीता बरबड़ और पाली से भीमराज भाटी शामिल हैं. यहां कुल 18 बार हुए लोकसभा चुनावों में 8 बार कांग्रेस और 7 बार बीजेपी जीती है. यहां 2 बार निर्दलीय और एक बार जनता पार्टी जीती है.

पाली लोकसभा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ माना जाता है
पाली संसदीय क्षेत्र में 17 लाख 79 हजार 415 मतदाता हैं. इनमें सर्वाधिक मतदाता जाट जाति के हैं. इनकी संख्या करीब 3.50 लाख मानी जाती है. वहीं करीब 2.50 लाख सीरवी, 1.50 लाख राजपूत, 4.50 लाख अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाता हैं. इनके अलावा करीब 1.50 लाख मुस्लिम, एक लाख ब्राह्मण, 60 हजार जैन, 50 हजार माली, 80 हजार पटेल चौधरी जनवा, 70 हजार देवासी और 50 हजार रावत समेत अन्य जातियों के मतदाता हैं.

पाली चूड़ी और मेहंदी उद्योग के लिए भी प्रसिद्ध है
यहां करीब 39 प्रतिशत मतदाता शहरी और 61 फीसदी ग्रामीण है. पाली सूती वस्त्र उद्योग के साथ चूड़ी और मेहंदी उद्योग के लिए भी प्रसिद्ध है. यह प्रदेश में ही नहीं विश्व स्तर पर पहचान रखता है. गोडवाड़ क्षेत्र पर्यटन के हिसाब से महत्वपूर्ण क्षेत्र है. रनकपुर जैन मंदिर के साथ जवाई लेपर्ड क्षेत्र और जवाई बांध में मगरमछ सहित अन्य जीवों को देखने के लिए पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है.

यहां बीते दस साल से बीजेपी का कब्जा है
परिसीमन के बाद पाली लोकसभा क्षेत्र में जोधपुर जिले की तीन विधानसभा क्षेत्रों को भी शामिल किया गया था. उसके बाद से दोनों ही पार्टियां उन्हीं क्षेत्रों के ही उम्मीदवार मैदान में उतार रही है. 2009 में कांग्रेस के बद्रीराम जाखड़ यहां से चुनाव जीते थे. लेकिन उसके बाद भाजपा के पीपी चौधरी 2014 से पाली सांसद हैं. भाजपा ने उन्हें तीसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है. पाली में इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है. बीजेपी ने यहां अपनी पहली लिस्ट में पत्ते खोलकर पीपी चौधरी को तीसरी बार मैदान में उतारा दिया था. जबकि कांग्रेस ने दस दिन बाद दूसरी लिस्ट में संगीता बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया.

जनता दोनों ही पार्टियों के जनप्रतिनिधियों से नाराज नजर आ रही है
यहां की जनता दोनों ही पार्टियों के जनप्रतिनिधियों से नाराज नजर आ रही है. क्योंकि पाली राजस्थान का एक मात्र ऐसा जिला है, जहां पेयजल भी वाटर ट्रेन से सप्लाई होता है. यहां की प्रमुख समस्या के तौर पर यह मुद्दा हर चुनाव में प्रभावी होता है लेकिन चुनावों के बाद इस मुद्दे को भुला दिया जाता है. इसके चलते पाली की जनता में नेताओं से नाराजगी भी दिख रही है. वहीं प्रदूषण का मुद्दा भी जस का तस बना हुआ है. किसानों और उद्यमियों के साथ जनता के लिए भी यह परेशानी का कारण बना हुआ है. यहां उद्योगों के प्रदूषित पानी से जहां जमीन खराब हो रही हैं वहीं कुछ उद्योगों के दूसरी जगह स्थापित होने से रोजगार पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

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