लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान अक्सर ऐसी घटनाएं होती है, जो कई बार दशकों तक चर्चा में रहती हैं. इंदिरा गांधी का टार्च की रोशनी में जनसभा को संबोधित करना हो या पत्थरबाजी में नाक टूटने के बाद भी रैली में पहुंचना हो या फिर किसी राजनीतिक दल के स्टार प्रचारक के भाषण के दौरान मंच टूटने की घटना हो, लोग वर्षों तक याद रखते हैं. ऐसी ही कुछ घटनाएं देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से भी जुड़ी हुई हैं. कहा जाता है कि पंडित नेहरू अव्यवस्था या कोई दिया हुआ काम पूरा नहीं होने पर गुस्सा हो जाते थे. कई बार वह बेवजह हंगामा कर रहे कार्यकर्ताओं को तो कभी कुछ नेताओं को डांट देते थे. उनकी फटकार से जुड़ा एक किस्सा ऐसा भी है, जिसकी आज भी चर्चा होती है.
ये दिलचस्प किस्सा आजाद भारत में हुए पहले लोकसभा चुनाव से जुड़ा है. दरअसल, पंडित नेहरू लोकसभा चुनाव 1952 में उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में खागा के पक्का तालाब में पहुंचे थे. चुनावी जनसभा का इंतजाम जिस पक्का तालाब में किया गया था, उसके मैदान में इमली के कई बड़े-बड़े और काफी पुराने पेड़ थे. इमली के इन पेड़ों पर हमेशा बड़े-बड़े चमगादड़ लटके रहते थे. जनसभा के दिन, जब मैदान में भारी भीड़ जमा हुई तो चमगादड़ असहज हो और तेज-तेज आवाजें निकालकर इधर-उधर उड़ने लगे. कुछ नेताओं ने चमगादड़ों के शोर के बीच ही अपना-अपना भाषण दिया और अपनी जगह बैठ गए. अब भाषण देने की बारी पंडित नेहरू की थी.

पंडित नेहरू जैसे ही भाषण देने के लिए माइक पर आए, तो अचानक चमगादड़ों ने पहले से भी ज्यादा शोर करना शुरू कर दिया.
चमगादड़ों का बढ़ा शोर तो पंडित नेहरू ने लगाई डांट
पंडित नेहरू जैसे ही भाषण देने के लिए माइक पर आए, तो अचानक चमगादड़ों ने पहले से भी ज्यादा शोर करना शुरू कर दिया. पंडित नेहरू भाइयों, बहनों कहने के बाद कुछ देर के लिए रुक गए. दरअसल, चमगादड़ों का शोर काफी तेज हो गया था. इस वजह से पंडित जवाहर लाल नेहरू को अपनी बात करने में रुकावट महसूस हो रही थी. साथ ही चमगादड़ों के तेजी से इधर-उधर उड़ने के कारण जनसभा में जुटे लोग भी उनकी बात पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे. भाषण में रुकावट के कारण पंडित नेहरू का पारा चढ़ गया. गुस्साए पंडित नेहरू ने पेड़ों की तरफ हाथ जोड़कर जोर से कहा, प्लीज कीप साइलेंस, मैं बहुत दूर से अपनी बात कहने आया हूं. पहले मैं अपनी बात कह लूं, फिर आप अपनी बातें कह लीजिएगा.’
फटकार पर सकपका गए नेता तो हंस पड़ी जनता
प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की इस बात पर जहां आम लोगों ने जोर-जोर से हंसना शुरू कर दिया, वहीं मंच पर बैठे सभी कांग्रेस नेता सकपका गए कि पंडित जी ये क्या कर रहे हैं. स्थानीय लोग कहते हैं कि लेकिन, जानें क्या हुआ कि पंडित नेहरू के फटकारने के बाद चमगादड़ों का शोर कुछ देर के लिए पूरी तरह से थम गया. फिर चमगादड़ों के खामोश होने के बाद पंडित नेहरू ने जनता के सामने अपनी बात रखी और अपना भाषण बिना किसी रुकावट के सजह तरीके से पूरा किया. इसके बाद पूरे फतेहपुर इलाके में ये बात जंगल की आग की तरह फैल गई कि प्रधानमंत्री नेहरू पशु-पक्षियों और जीव-जंतुओं से भीबात कर लेते हैं.

फतेहपुर में ये बात तेजी से फैली कि पंडित नेहरू ने डांट लगाई तो चमगादड़ भी चुप हो गए.
इलाके में फैला चमगादड़ों को फटकार का किस्सा
पंडित नेहरू जनसभा में भाषण देकर चले गए, लेकिन पूरे लोकसभा क्षेत्र में ये बात तेजी से फैल गई कि प्रधानमंत्री ने चमगादड़ों को डांटा तो वे भी चुप हो गए. उस समय के बाद चुनावी जनसभा का ये किस्सा हर लोकसभा या विधानसभा चुनाव से पहले क्षेत्र के लोग अगली पीढ़ी को सुनाते हैं. इसी तरह ये किस्सा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चर्चा का विषय बना रहता है. अब ये तो कोई नहीं जानता कि चमगादड़ों का नेहरू की डांट या गुहार से शांत होना संयोग था या कुछ और ही था. लेकिन, लोकसभा चुनाव और प्रचार अभियान शुरू होने के बाद फतेहपुर इलाके में पंडित नेहरू की चमगादड़ों को लगाई डांट ये किस्सा फिर चर्चा में आ गया है.
.
Tags: 2024 Lok Sabha Elections, BJP, Congress, Election campaign, Pandit Jawaharlal Nehru, Uttar pradesh news today
FIRST PUBLISHED : April 2, 2024, 19:45 IST