Sunita Williams: विज्ञान के साथ अध्यात्म की ताकत; 4576 बार की पृथ्वी की परिक्रमा, 62 घंटे स्पेसवॉक का रिकॉर्ड

दिल्ली। भारत की जिस बेटी सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से सुरक्षित वापसी पर पूरी दुनिया मुस्कुरा उठी, वह विज्ञान के साथ-साथ अाध्यात्मिक शक्ति पर भी भरोसा करती हैं। अपनी बहुसांस्कृतिक जड़ों पर गर्व करने वाली विलियम्स पिछले मिशनों के दौरान समोसे, स्लोवेनियाई ध्वज, श्रीमद्भगवद्गीता और भगवान गणेश की मूर्ति सहित अपनी विरासत के प्रतीकों को अपने साथ अंतरिक्ष में ले गईं। जब वह पहली बार अंतरिक्ष मिशन पर गई थीं, तो साथ में गीता की एक प्रति भी थीं। वह कहती हैं, गीता में कर्म का जो संदेश दिया गया है, वह आपको हर जंग को जीतने और हर बाधा को पार करने में सहायक होती है।

अंतरिक्ष से महाकुंभ
सुनीता विलियम्स ने प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ की अंतरिक्ष से तस्वीर भी खींची, जिसे उन्होंने अपनी भाभी फाल्गुनी पांड्या को भेजा था। फाल्गुनी ने कहा, मैंने उनसे पूछा था कि क्या अंतरिक्ष से कुंभ नजर आ रहा है, तो उन्होंने कहा- हां, बेहद भव्य।

जॉन्सन स्पेस सेंटर में 45 दिन सघन निगरानी में रहेंगे
अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर मैक्सिको की खाड़ी में फ्लोरिडा के समुद्र तट पर उतरा। एक घंटे में ही वे अपने कैप्सूल से मुस्कुराते हुए बाहर आए और कैमरों की ओर देखकर हाथ हिलाकर अभिवादन किया। सबसे आखिर में सुनीता निकलीं। सुनीता और बुच को पहले नियमित चिकित्सा जांच के लिए ले जाया गया। फिर वहां से उन्हें जॉन्सन स्पेस सेंटर ले जाया गया, जहां वे 45 दिन सघन निगरानी में रहेंगे।

अंतरिक्ष में नौ माह… 62 घंटे स्पेसवॉक का रिकॉर्ड
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में नौ महीने तक फंसी रही नासा की अंतरिक्ष यात्री भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने किसी महिला अंतरिक्ष यात्री की ओर से अपने पूरे कॅरिअर में सबसे अधिक समय तक स्पेसवॉक करने का कीर्तिमान बना दिया। सुनीता ने 62 घंटे की नौ स्पेसवॉक का रिकॉर्ड बनाया। सुनीता की यह तीसरी अंतरिक्ष उड़ान थी और उन्होंने कुल 608 दिन अंतरिक्ष में बिताए। यह पेगी व्हिटसन (पुरुष) के 675 दिनों के बाद किसी भी अमेरिकी वैज्ञानिक की ओर से अंतरिक्ष में बिताए दूसरे सबसे अधिक दिन हैं।

सुनीता और विल्मोर ने अंतरिक्ष स्टेशन में 150 साइंस प्रोजेक्ट पर साथ किया काम
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचने के तुरंत बाद स्टेशन चालक दल की भूमिका में आ गए। उन्होंने कई प्रयोग किए, उपकरण ठीक करने में हाथ बंटाया और अंतरिक्ष में चहलकदमी भी की। दोनों पहले भी ऑर्बिटिंग लैब में रह चुके थे और वहां की बारीकियां जानते थे। रॉकेट से उड़ान भरने से पहले उन्होंने स्टेशन की ट्रेनिंग को भी बेहतर बनाया। विलियम्स तीन महीने के प्रवास के बाद स्टेशन की कमांडर बन गईं और इस महीने की शुरुआत तक इस पद पर बनीं रहीं। बुच और सुनीता ने मिलकर 150 साइंस प्रोजेक्ट पर काम किया।

कैप्सूल के कमांडर नासा के निक हेग… मस्क की मदद
सुनीता व बुच के सुरक्षित आगमन पर कैलिफोर्निया में स्पेसएक्स मिशन कंट्रोल ने रेडियो पर कहा, आपका घर में स्वागत है। जवाब में कैप्सूल के कमांडर नासा के निक हेग ने कहा, क्या सवारी थी। मैं कैप्सूल को बड़ी मुस्कुराहट से भरा हुआ देख रहा हूं। बता दें कि स्टारलाइनर में खराबी आने के बाद बैकफुट पर आए नासा ने दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने में हाथ खड़े कर दिए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश के बाद स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क की मदद से उनकी सुरक्षित वापसी हुई।

17 घंटे लगे अंतरिक्ष स्टेशन से वापसी में
नासा का स्पेसएक्स क्रू-9 कैप्सूल भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह 3:27 बजे (स्थानीय समयानुसार मंगलवार शाम 5:37 बजे) सुनीता व बुच के साथ दो और अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर मैक्सिको की खाड़ी में फ्लोरिडा के समुद्र तट पर उतरा। एक घंटे में ही वे अपने कैप्सूल से मुस्कुराते हुए बाहर आए।
मंगलवार (फ्लोरिडा के समयानुसार) की सुबह, सुनीता और बुच दो अन्य यात्रियों निक हेग व अलेक्जेंडर गॉर्बुनोव के साथ क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार हुए।
1:05 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से अनडॉक हुए। चार सदस्यों का दल, जो औपचारिक रूप से नासा के क्रू-9 अंतरिक्ष यात्री रोटेशन मिशन का हिस्सा था, पृथ्वी के वायुमंडल में उतरा। हीटशील्ड और दो पैराशूट के जरिये इसकी कक्षीय गति 17,000 मील प्रति घंटे (27,359 किलोमीटर प्रति घंटे) को धीमा कर 17 मील प्रति घंटे पर लाया गया।
सुनीता व विल्मोर को सहारा देकर उतारा गया। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों लंबे समय से शून्य गुरुत्वाकर्षण में थे, जिसके चलते वे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पा रहे थे। उन्हें स्ट्रेचर पर मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया।
रिकवरी के पहले चरण में चलने, लचीलापन बढ़ाने व मांसपेशियों को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा। पूरी तरह से सामान्य होने में उन्हें छह हफ्ते लगेंगे।

परिवार की थी चिंता, समय बिताना कठिन नहीं
दुनिया सुनीता व विल्मोर को लेकर चिंतित थी, पर नौसेना से सेवानिवृत्त दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को परिवार की चिंता सता रही थी। वापसी पर दोनों ने कहा, अंतरिक्ष में समय बिताना कठिन नहीं था। इसने लंबी सैन्य तैनाती के दिनों की याद दिलाई। पर, यह वक्त हमारे परिवारों के लिए कठिन था। सुनीता (59) को अपने पति, मां और रिश्तेदारों को अंतरिक्ष से इंटरनेट कॉल से ही संतोष करना पड़ा था। वहीं, विल्मोर (62) अपनी छोटी बेटी के हाईस्कूल के अधिकतर वक्त से वंचित हो गए। उनकी बड़ी बेटी कॉलेज में है।

इसरो की बधाई…विशेषज्ञता का लेंगे लाभ
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख वी नारायणन ने कहा, आईएसएस पर विस्तारित मिशन के बाद सुनीता की सुरक्षित वापसी उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह नासा, स्पेसएक्स व अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। सुनीता की दृढ़ता व समर्पण विश्वभर के उत्साही लोगों को प्रेरित करता रहेगा। हम अंतरिक्ष अन्वेषण में सुनीता की विशेषज्ञता का लाभ लेना चाहेंगे

पिछले साल ही लौटना था, खराबी से टली वापसी
इस अनिश्चितता से भरपूर सफर की शुरुआत पिछले साल 5 जून को बोइंग की एक दोषपूर्ण परीक्षण उड़ान के साथ हुई। नासा के तय कार्यक्रम के तहत सुनीता व बुच को 5 जून को बोइंग के नए स्टारलाइनर क्रू कैप्सूल से रवाना होना था और एक सप्ताह बाद पृथ्वी पर लौटना था। लेकिन, अंतरिक्ष स्टेशन के रास्ते में इतनी सारी समस्याएं आईं कि नासा ने अंततः स्टारलाइनर को खाली वापस भेज दिया और परीक्षण पायलटों को स्पेसएक्स में स्थानांतरित कर दिया। यहीं से उनकी वापसी फरवरी तक टल गई, फिर स्पेसएक्स कैप्सूल की समस्याओं ने एक और महीने का विलंब किया।

1900 डिग्री तापमान… सुनीता के कैप्सूल ने पार किया कल्पना चावला जैसा संकट
वापसी में एक पल ऐसा आया जब सुनीता का कैप्सूल स्पेसएक्स क्रू-9 सात मिनट के ब्लैकआउट में चला गया। ऐसा ही संकट 1 फरवरी, 2003 को कल्पना चावला की वापसी के दौरान हुआ था। कैप्सूल का तापमान 1900 डिग्री तक पहुंचने के कारण उससे संपर्क टूट गया था। हालांकि, यह सामान्य है लेकिन चुनौतीपूर्ण होता है। ब्लैकआउट किसी भी स्पेसक्राफ्ट के लिए पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के लिए बहुत निर्णायक होता है। सामान्य से बहुत अधिक तापमान होने से स्पेसक्राफ्ट के क्रैश होने की आशंका बढ़ जाती है। नासा के अंतरिक्ष यान कोलंबिया के साथ ऐसा ही हादसा हुआ और कल्पना दुर्घटना का शिकार हो गई थीं।

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