सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले की सुनवाई हुई। जस्टिस दत्ता और जस्टिस मसीह की पीठ ने राहुल के बयान पर असहमति जताई और सख्त टिप्पणी की।
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी की। इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने राहुल के बयान पर असहमति व्यक्त की।
राहुल गांधी की तरफ से सीनियर वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने जिरह की शुरुआत की। उन्होंने दलील दी कि अगर कोई विपक्षी नेता किसी मुद्दे को नहीं उठा सकता, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी। अगर प्रेस में छपी बातें भी नहीं कही जा सकती तो विपक्ष के नेता नहीं हो सकते। इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि आपको (राहुल) जो कुछ भी कहना है, संसद में क्यों नहीं कहते? आपको सोशल मीडिया पोस्ट में यह क्यों कहना है?
राहुल गांधी की टिप्पणियों पर और अधिक असहमति जताते हुए जस्टिस दत्ता ने पूछा: डॉ. सिंघवी बताइए, आपको कैसे पता चला कि 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीनियों ने कब्जा कर लिया है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है? आप बिना किसी सबूत के ये बयान क्यों दे रहे हैं। अगर आप सच्चे भारतीय होते तो आप यह सब नहीं कहते।
सिंघवी: राहुल गांधी केवल सही खुलासे और सूचना के दमन पर चिंता जता रहे थे।
जस्टिस दत्ता: सवाल उठाने के लिए एक उचित मंच मौजूद है?
सिंघवी: याचिकाकर्ता अपनी टिप्पणियों को बेहतर ढंग से व्यक्त कर सकते थे। यह शिकायत केवल सवाल उठाने के लिए उन्हें परेशान करने का एक प्रयास मात्र है। सवाल पूछना एक विपक्षी नेता का कर्तव्य है। धारा 223 बीएनएसएस के मुताबिक किसी आपराधिक शिकायत का संज्ञान लेने से पहले अभियुक्त की पूर्व सुनवाई जरूरी है, जिसका इस मामले में पालन नहीं किया गया है।
जस्टिस दत्ता: धारा 223 का यह मुद्दा हाई कोर्ट के सामने नहीं उठाया गया था।
सिंघवी ने माना कि इस मुद्दे को उठाने में चूक हुई।
सिंघवी: हाई कोर्ट में चुनौती मुख्य रूप से शिकायतकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर केंद्रित थी। सिंघवी ने उच्च न्यायालय के इस तर्क पर सवाल उठाया कि शिकायतकर्ता हालांकि पीड़ित व्यक्ति नहीं है, लेकिन अपमानित व्यक्ति है। आखिरकार पीठ इस बिंदु पर विचार करने के लिए सहमत हो गई और इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली राहुल की विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तीन सप्ताह की अवधि के लिए अंतरिम रोक लगा दी गई है।
शिकायतकर्ता की तरफ से थे ये वकील
शिकायतकर्ता की तरफ से इस मामले में सीनियर वकील गौरव भाटिया कैविएट पर उपस्थित हुए थे। 29 मई को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी। राहुल ने मानहानि के मामले के साथ-साथ लखनऊ की एमपी एमएलए कोर्ट के फरवरी 2025 में पारित समन आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था।
राहुल गांधी ने कब की थी टिप्पणी
हाई कोर्ट के जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने कहा था कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में भारतीय सेना के प्रति अपमानजनक बयान देने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव की तरफ से दायर और वर्तमान में लखनऊ की एक अदालत में लंबित मानहानि की शिकायत में कहा गया कि राहुल ने कथित अपमानजनक टिप्पणी 16 दिसंबर, 2022 को उनकी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राहुल गांधी को राहत देते हुए कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी है।
ब्यूरो रिपोर्ट






