रायपुर। नगरीय निकाय चुनाव में बड़ी जीत के बाद भाजपा अब सभापति बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए पार्टी सभी 10 निगमों में पर्यवेक्षकों की नियुक्ति भी कर दी है। हालांकि अभी तक सस्पेंस बना है कि रायपुर समेत सभी 10 निगमों में सभापति कौन होगा। इसी के साथ चर्चा तेज हो गई है कि सभापति कौन बनेगा। पार्टी किन नामों को प्राथमिकता दे सकती है और इसकी क्या वजह है. एमआईसी में कौन शामिल होगा. क्योंकि 70 वार्ड में से 60 पर भाजपा की जीत हुई है। इसके लिए जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की जाएगी। इसके साथ ही इस पूरी कवायत में महापौर मीनल चौबे का सुझाव और बातें मायने रखेगी, उनके हिसाब से ही पार्टी निर्णय लेगी, क्योंकि मीनल चौबे पहले पार्षद रह चुकी है फिर नेता प्रतिपक्ष, उन्हें लंबा अनुभव है।
रायपुर नगर निगम का कौन सभापति बनेगा, इसे पार्टी सुगबुगाहट तेज हो गई है। वही 7 पर कांग्रेस और तीन पर निर्दलीयों ने जीत हासिल की है, इन 60 पार्षदों में से तीन ऐसे प्रमुख नाम है जो सभापति की दौड़ में शामिल हैं। उसमें पहलला सूर्यकांत राठौर, दूसरा मनोज वर्मा और सरिता दुबे प्रमुख है। इसमें सूर्यकांत राठौर का नाम सभापति की दौड़ में सबसे ऊपर है, उसकी वजह है कि वह 5 बार पार्षद रह चुके हैं। वे रायपुर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। एक कार्यकाल में मेयर काउंसिल के सदस्य भी रहे हैं। उनकी आक्रामक शैली राजनीति में जानी जाती है। इसके साथ ही उन पर किसी विशेष गुट का ठप्पा नहीं लगा है, इसलिए भी सूर्यकांत राठौर इस पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं.
वहीं, दूसरे दावेदार मनोज वर्मा हैं जो तीसरी बार चुनाव जीते है। ओबीसी वर्ग से आने वाले मनोज वर्मा को साधने में कांग्रेस और भाजपा जुटी रहती है, यदि ऐसा हुआ तो मनोज वर्मा सभापति पद के प्रमुख दावेदार होंगे। इसके अलावा बृजमोहन अग्रवाल के करीबी माने जाते हैं। मीनल चौबे, राजेश मूणत की समर्थक मानी जाती है। ऐसा लगता है सभापति के चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल का सुझाव महत्वपूर्ण होगा, लेकिन ऐसे में सूर्यकांत राठौर का नाम भी दरकिनार नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह भी बृजमोहन अग्रवाल की गुड बुक में होंगे।
जानकार बताते हैं कि यदि भाजपा कोई नया प्रयोग करना चाहेगी, तो वह इस बार सभापति के पद पर महिला सभापति का चुनाव कर सकती है क्योंकि रायपुर नगर निगम के कमान महिला महापौर के हाथ में है, तो हो सकता है कि भाजपा एक्सपेरिमेंट के तौर पर सरिता दुबे को महिला सभापति बना दें। वहीं, मेयर इन काउंसिल को लेकर अनिरुद्ध ने कहा कि जो दूसरी और तीसरी बार चुनकर पार्षद बने हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जा सकती है। ओबीसी वर्ग को काउंसिल में ज्यादा जगह मिलेगी। सिख समुदाय के भी एक दो पार्षद जीत कर आए हैं, उन्हें भी इसमें शामिल किया जा सकता है। वही एजाज ढेबर जैसे कद्दावर नेता को हराने में अमर गिदवानी का हाथ रहा। वह सिंधी समुदाय से आते हैं. वह भी मेयर इन काउंसिल की दौड़ में शामिल है।