प्रयागराज। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ न केवल धर्म और अध्यात्म का केंद्र बना, बल्कि यह कई लोगों के लिए आर्थिक समृद्धि का भी अवसर लेकर आया। नैनी के अरैल इलाके के रहने वाले एक नाविक परिवार की मेहनत और सफलता की कहानी अब सुर्खियों में है। इस परिवार ने महाकुंभ के 45 दिनों में नाव चलाकर करीब 30 करोड़ रुपये की कमाई की। यह उपलब्धि इतनी बड़ी रही कि खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी चर्चा विधानसभा में की।
महरा परिवार की ऐतिहासिक कमाई
नाव संचालन को पेशे के रूप में अपनाने वाला यह महरा परिवार पिछले कई दशकों से इस व्यवसाय में लगा हुआ है। महाकुंभ के दौरान 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे, जिससे इनकी नावों की मांग चरम पर रही।
महरा परिवार के पास सौ से अधिक नावें हैं, जिनमें से प्रत्येक नाव से 7 से 10 लाख रुपये तक की कमाई हुई। जब इस कमाई को जोड़कर देखा गया, तो यह आंकड़ा 30 करोड़ के आसपास पहुंच गया। इस सफलता से पूरा परिवार उत्साहित है और खुशी में एक-दूसरे को मिठाई खिला रहा है।
500 से अधिक सदस्यों का नाव संचालन व्यवसाय
इस परिवार में 500 से अधिक सदस्य नाव संचालन के व्यवसाय से जुड़े हैं। अपनी नावों के अलावा, इन्होंने आसपास के इलाकों से भी नावें मंगवाकर श्रद्धालुओं को संगम स्नान कराने का कार्य किया। महरा परिवार का कहना है कि निषाद समुदाय के लोगों को पहली बार इतनी पहचान और सम्मान मिला है।
योगी सरकार के प्रयासों की सराहना
नाविक परिवार की प्रमुख सदस्य शुक्लावती ने बताया कि महाकुंभ में सरकार द्वारा किए गए शानदार प्रबंधों के कारण श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई, जिससे उन्हें यह आर्थिक लाभ मिला। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया और कहा कि इस सरकार ने निषाद समुदाय की ओर विशेष ध्यान दिया है, जिससे रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त हुए हैं।
महाकुंभ बना रोजगार का बड़ा स्रोत
महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन न केवल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं, बल्कि वे लाखों लोगों के लिए आर्थिक समृद्धि का द्वार भी खोलते हैं। नाविक समुदाय की यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर सही अवसर और संसाधन मिलें, तो परंपरागत व्यवसाय भी बड़े स्तर पर आर्थिक क्रांति ला सकते हैं।