रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम कसते हुए पिछले तीन दिनों में तीन अफसरों को निलंबित कर दिया है। इन अफसरों में भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी भी शामिल हैं। इस कदम से राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को और मजबूत किया है।
पहला निलंबन 3 मार्च को हुआ, जब सुकमा के डीएफओ और लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक अशोक पटेल को निलंबित किया गया। 2015 बैच के आईएफएस अधिकारी अशोक पटेल पर आदिवासियों को तेंदूपत्ता प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि में गड़बड़ी करने का आरोप है। प्रारंभिक जांच में डीएफओ की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। यह कार्रवाई प्रदेश में एक बड़ी और महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इस प्रकार के वरिष्ठ अफसरों के खिलाफ सस्पेंशन दुर्लभ होते हैं।
इसके बाद, 4 मार्च को सरकार ने जगदलपुर नगर निगम के कमिश्नर निर्भय साहू को निलंबित कर दिया। साहू पर अभनपुर में भारतमाला परियोजना के 324 करोड़ के मुआवजा घोटाले में लिप्त होने का आरोप था। उन्होंने रायपुर से विशाखापट्टनम सिक्स लेन कारिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण में 35 करोड़ की जगह 246 करोड़ का मुआवजा बांट दिया था, और इसके लिए 32 खसरे को 247 छोटे टुकड़ों में बदल दिया गया।
5 मार्च को सरकार ने कोरबा के डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुरें को भी निलंबित कर दिया। शशिकांत पर भी भारतमाला परियोजना के मुआवजे में घोटाले का आरोप था। उन्होंने अभनपुर तहसीलदार रहते हुए मुआवजे के लिए जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटने का काम किया था ताकि अधिक मुआवजा मिल सके, और इसके बदले उन्हें मोटा कमीशन मिला।
अब तक इस घोटाले में राज्य प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारियों समेत पांच अफसर निलंबित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विधानसभा के बजट सत्र में यह स्पष्ट किया था कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी और किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा।