सदन में फिर गूंजा भारतमाला प्रोजेक्ट का मुद्दा, पक्ष- विपक्ष के बीच हुई तीखी बहस,विपक्ष ने किया वॉकआउट

रायपुर।छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को फिर से भारतमाला प्रोजेक्ट का मुद्दा गूंजा। प्रश्नकाल के दाैरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में 350 करोड़ रुपए का घोटाला मुआवजा के खेल में किया गया है। लिहाजा, इसकी जांच सीबीआई से या नहीं तो विधायक दल की समिति से कराने की मांग की। हालांकि सरकार ने उनकी मांग को खारिज कर दिया, जिसके बाद सत्ता और विपक्ष के बीच जमकर तीखी बहस हुई। नाराज विपक्ष ने सदन से वॉक आउट भी कर दिया।

छत्तीसगढ़ को विशाखापट्टनम को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजे के नाम पर हुई बड़ी गड़बड़ी की गूंज आज एक बार फिर से छत्तीसगढ विधानसभा में सुनने को मिली। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत के सवाल पर मंत्री राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने सदन में स्वीकार किया कि, इस प्रोजेक्ट में मुआवजे के नाम पर बड़ी गड़बड़ी की गई है। भारतमाला प्रोजेक्ट की अधिसूचना जारी होने के बाद जमीनों की खरीद बिक्री हुई, उसे छोटे छोटे टुकड़ों में बांटा गया, उसका नामांतरण किया गया। इतना ही नहीं, जमीन का मुआवजा भी गलत लोगों को दिया गया। इसके चलते कई अधिकारी कर्मचारी को निलंबित किया गया है। मंत्री की इस स्वीकारोक्ति के बाद चरणदास महंत ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग कर दी। उन्होंने कहा कि अकेले रायपुर में 43 करोड़ का फर्जी मुआवजा दिया गया। पूरे प्रदेश में मुआवजे का घोटाला करीब 350 करोड़ का है। लिहाजा, इसकी सीबीआई जांच कराई जाए, लेकिन विभागीय मंत्री टंकराम वर्मा इसके लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने पूरे मामले की जांच संभागीय आयुक्त से कराने की घोषणा की।

नेता प्रतिपक्ष इस घोषणा से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने सदन में बैठे मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच कराने की मांग की, लेकिन सीएम विष्णुदेव साय ने मंत्री के जवाब को संतोषजनक बता दिया। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष से मांग की कि, वो विधायक जांच दल की व्यवस्था दें। उन्होंने कहा कि ये घोटाला कांग्रेस सरकार के समय का है और वो खुद इसकी सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो हाईकोर्ट जाने को मजबूर होंगे। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से भी कोई आश्वासन नहीं मिल सका। इसके बाद नाराज विपक्ष ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया। पक्ष और विपक्ष की तीखी नोंकझोंक और बहस के बीच, असंतुष्ट विपक्ष ने की कार्यवाही का बहिष्कार करते हुए सदन से बाहर चले गए।

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